Papita Ki Kheti Ki Jankari Hindi
• परिचय -पपीता की खेती किसान कम लागत में कर सकता है वह अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते इसके लिए जलवायु का तापमान 10 से 45 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए जिससे पपीते के फलों की अच्छी पैदावार किसानों को मिल सकती है वहां खेती किसानों के लिए बहुत ज्यादा लाभदायक है
• पपीते के लिए जलवायु -गर्म जलवायु उचित होती है तापक्रम कम होने से तुषार से पौधे मर जाते हैं अधिक तापमान से लू से पौधे सूख जाते हैं सफल उत्पादन के लिए अधिकतम तथा न्यूनतम तापमान 100°एवं 50°F रहना चाहिए अधिक वर्षा हानिकारक है

• पपीता के लिए भूमि –Papita Ki Kheti Ki Jankari Hindi जल निकास युक्त किसी भी प्रकार की भूमि उपयोग किया जा सकता है भूमि में पौधे के पास जल इकट्ठा होने से तना गलन का रोग हो सकता है पौधे की जड़े अधिक गहराई तक नहीं जाती इसलिए उथली भूमि पर भी इससे लगाया जा सकता है यदि भूमि दोमट हो तो उत्तम है

• खाद तथा उर्वरक – प्रति पौधों को खाद
खाद/उर्वरक | एक माह | छ: माह | एक वर्ष | दो वर्ष | तीन वर्ष |
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कम्पोस्ट (किलो) | 10 | 10 | 15 | ||
नाइट्रोजन (ग्रा.) | 20 | 40 | 50 | 100 | 100 |
फास्फोरस (ग्रा.) | 40 | 100 | 100 | ||
पोटाश (ग्रा.) | 60 | 100 | 100 |
• सिंचाई– शाकीय पर पौधा होने के कारण सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती है ग्रीष्म ऋतु प्रति सप्ताह और शरद ऋतु में प्रति सप्ताह सिंचाई करना आवश्यक है सिंचाई का पानी देने से दूर रहना चाहिए।

• बीज तैयार –Papita Ki Kheti Ki Jankari Hindi पपीता के पौधे बीज द्वारा ही तैयार किए जाते हैं क्यारियों में पौधे तैयार करने की अपेक्षा पॉलिथीन की थैलियों में बीज बोकर पौधे प्यार करना उचित है
• पौधारोपण
— पौधे 2 मीटर के अंतराल में लगाए जाते हैं पपीता लगाने के लिए 0.5×0.5×0.5 लंबा चौड़ाई गहरा गड्ढे प्यार करना गड्ढे में 20 किलो गोबर 0.25 किलो सुपर फास्फेट 0.25 किलो मुरेट ऑफ पोटाश मिट्टी में मिला कर पौधा लगाना चाहिए

• पपीता में रोग -विषाणु तथा पद गलन रोग इसका नियंत्रण पौधे संरक्षण के अंतर्गत देखें
• पपीते की उन्नत किस्म – पुसा जायट , पूसा मजेस्टी , पूसा डेलिशियस , पूसा नन्हा
• फलों का उत्पादन –Papita Ki Kheti Ki Jankari Hindi 9 से 10 माह में हमें फल प्राप्त हो जाता है
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